Picture Courtesy: Shaantanu Kulkarni मुर्दोंकी बस्ती है… प्रेम बांट रहा हू ! इन्हे प्रेम नही, प्राण चाहिये… फिरसे व्यर्थ गवांनेको…! मुर्दोंकी बस्ती है… प्रकाश बांट रहा हू ! इन्हे प्रकाश...
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